श्रद्धा से जो कर्म किया जाता हैं उसे श्राद कहते हैं।
पिंडदान :- श्रद्धा से जो कर्म किया जाता हैं उसे श्राद कहते हैं। श्रध्या पित्तरं उद्दिष्य विधिना क्रियते यत्कर्म तत श्राध्याम अथार्थ श्रद्धा से ही श्राद शब्द की निष्पत्ति होती हैं। अपने मृत पितृगण के उद्येश्य से श्रद्धा पूर्वक किये जाने वाले कर्म विशेष को श्राद्ध शब्द के नाम से जाना जाता हैं। इसे पितृ यज्ञ भी कहते हैं भगवन श्री राम ने भी अपने पिता राजा दशरत का पिंड दान पुष्कर में बालू मिट्टी के द्वारा किया था।